
यह न्योता है सभी दोस्तों, शुभचिंतकों और दुश्मनों (यदि वे हैं) को इस नए सफ़र में हमसफ़र बनने का. जैसा कि नाम से स्पष्ट है इस यात्रा का पड़ाव हमारा "काल" और गंतव्य उसका "चिंतन" है. कहने की ज़रुरत नहीं कि इस सफ़र में पड़ाव ही नहीं मंजिलें भी बार बार आयेंगी. दोस्तों से बस इतनी गुजारिश है कि भटकाव की स्थिति में रास्ता दिखलायें. और सफ़र में जो मंज़र हम न देख पाएं उनकी तरफ हमारा ध्यान ले जाएँ.
bahut badhiya shuruat, age badhiye
ReplyDeleteबहुत-बहुत शुभकामनाएँ!
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