Monday, January 18, 2010
देश के जोशीले नौजवानों के नाम
देश के नौजवानों, गौर से देखो इस तस्वीर को और हमारी नसीहत याद रखो कि हमें इस बात से कोई लेना देना नहीं हैं कि तुम अपने काम में दक्षता रखते हो और तुम्हारे बल-बूते पर ही हम अपनी पीठ भी ठोका करते हैं. तुम यह कैसे भूल सकते हो कि तुम एक महान लाल फीता शाह देश के निवासी हो जहां पर तुम्हारा अस्तित्व तुम्हारे आकाओं की कृपा पर निर्भर करता है. इस लड़के को देखो, यह सोचता है कि अपने ढंग से काम करके यह हमारे लिए फिर वैसा ही कमाल कर दिखाएगा जैसा इसने दो साल पहले उस देश में जाकर किया था जिसके हाथों रणभूमि में आधी सदी पहले पराजित हो कर हम शर्मसार हुए थे. इस नादाँ को यह समझना चाहिए कि शर्म का एहसास हम लोगों को अपनी सुविधा के अनुसार होता है. और हमें सबसे ज्यादा शर्मिंदगी होती है काबिलियत से. काबिलियत हमें अपने खुद के नक्कारापन से रुबरु कर देती है जो कि हमारे लिए नाकाबिल-ए-बर्दाश्त है. इसलिए हमसे काबिलियत की बात तो करो ही मत. और यह भी याद रखो कि तुम यदि केवल अपने काम में बेहतर प्रदर्शन के लिए कानून तोड़ने की बात करोगे तो सज़ा भुगतोगे. हाँ, आका बन जाओ तब कानून तोड़ो, चाहे जितना मर्ज़ी हो. कोई तुमसे सवाल नहीं करेगा. आगे से याद रहे, तुम्हारा पाला एक ऐसे तंत्र से पडा है जो कुक्कुरधर्मिता में विश्वास रखता है. सिंह का चरित्र रखोगे तो ऐसे ही रौंद दिए जाओगे.
धमकियों और लानत-मलामतों के साथ,
तुम्हारे हुक्मरान
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निशानेबाज़ है बेचारा. इस उपलब्धि वाला कोई क्रिकेटर होता, तो बीसीसीआई को नचा रहा होता.
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