कि उसकी गोद में अपने कुटुम्बियों के रक्त में नहा चुका बर्बर योद्धा भी शांतिदूत बन गया
महान हैं त्यागी नरेश के वंशज
कि उन्होंने शील और पराक्रम को चतुराई से छान कर केवल भिक्षा-वृत्ति को अपना लिया
महान है त्यागी नरेश की धरती
कि उसकी गोद में संसार से ऊब कर बरसों से भटक रहे प्यासे परदेसी को पीपल की छांह तले तृप्ति मिल गयी और वो निकल पडा इस तृप्ति के रहस्य को संसार में बांटने.
महान हैं त्यागी नरेश के वंशज
कि उनको अपने घर के पास तालाब खोदने और अपनी ज़मीन सींचने से कहीं बेहतर लगता है अनजान देश के अंधे कुएं में कूद पड़ना
महान है त्यागी नरेश की धरती
कि जिसकी गोद में पाले-बढे सिपहसलार ने शहंशाह को ज़मींदोज़ कर दिया और चंद बरसों में ही दिखला दिया कि हाकिम का फ़र्ज़ क्या होता है.
महान हैं त्यागी नरेश के वंशज
कि वे परदेस में तिरस्कार धीर भाव से ग्रहण कर अपनी कुंठा अपने घर में आग लगाकर दूर करते हैं
महान है त्यागी नरेश की धरती
कि उसकी गोद में एक बूढा फ़कीर तख़्त ठुकरा देने के बरसों बाद भी, जब आन पर बन आयी तो तख़्त से भिड गया और एक हैरतंगेज़ तख्ता-पलट कर डाला
महान हैं त्यागी नरेश के वंशज
जो इस बात पर रुष्ट हैं कि पांच कौड़ी की भीख क्यों लौटा दी, अगर लोग जान गए कि हममें भी गैरत है तो कौन भीख देगा
वाह वाह ! बहुत तीखी कविता !!
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